जिया जिंदा है

http://www.bbc.co.uk/blogs/hindi/2012/07/post-252.html

लिखा तो बहुत ही अच्छा है पर गुस्सा आता है जब किसी मुसलमान का लिखा ऐसा कुछ पढ़ने को मिलता है। लगता है जैसे एक खेल चल रहा हो जहाँ एक तरफ बम फोड़े जा रहे हैं और दूसरी तरफ तुलसी की माला जपी जा रही है।  क्या आप उत्तरदायी नहीं हैं? क्या आप दोषी नहीं?  जिया पर दोष मढ़कर आज पूरा पाकिस्तान अपने आपको धुला हुआ साफ-सुथरा दीखना चाह रहा है।  दो सै बरस पीछे जाकर किसी और को दोष दे दीजिए।  आगे भी किसी ना किसी का नाम तो रहेगा ही ठीकरा फोड़ने को।  आप सबों के दिये पैसों से ही ये आवाज का खेल खेला जा रहा है।  और आपका ही कोई दूर का भाई खेल रहा है।